जिंदगी में सफर न कोई ऐसा हो
जब साथ न मुझको तेरा हो
मन्नते मांगू खुदा से बस इतनी
हर किसी का दोस्त,मेरे दोस्त जैसा हो
तूफाने आई जिंदगी में चाहे जितने
चाहे दुनिया ने जितना दुत्कारा हो
डिगा न पाए तनिक कोई पथ से
ऐसा अटूट बंधन हमारा हो
मुकद्दर में अपने खुशियां न सही
पर अपनी दोस्ती मुकम्मल हो
डरे हमसे अंधेरों के भी बाशिन्दे
दिल में चिंगारी विश्वास की ऐसी हो
भले जिंदगी की उमर छोटी हो
बाधाओं के पहाड़ ऊँची हो
कर लेंगे फ़तेह हम दुनिया को
जब दोस्त तुम्हारे जैसा हो
बहुत खूब…. टंकण गलती है कहीं कहीं…ठीक कर लें….
शुक्रिया शर्मा जी।
अति सुंदर भावसृजन !
धन्यवाद निवातिया जी।