ना तुम भूल सकते ना मैं भूल सकता अपनी मुहब्बत तो चलती रहेगी भले दूरियां बन गईं हो सफर में आशा मिलन की तो पलती रहेगीज़िंदा हो तुम भी ज़िंदा हूँ मैं भी जीवन का पहिया तो चलता रहेगा सभी कुछ मिलेगा मुझको जहाँ में कमी तेरी फिर भी खलती रहेगी ये आग लगने पे बुझती नहीं हैकोशिश करो चाहे कितनी भी मिल के ये जोत ईश्वर की पूजा सरीखी मन में हमेशा ही जलती रहेगी ये जीवन हमारा है कागज़ की नैया हमेशा बदन में ना ताकत रहेगी हर इक पल को जी लो अमृत को पी लोनौका बर्फ से ये गलती रहेगी झूठों से रिश्तों में झूठी मुहब्बत सदियों से दुनिया में हावी रही है अब तक ना बदली है कोई रवायत मधुकर ये आगे भी छलती रहेगी शिशिर मधुकर
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सर मै कैसे आपकी तारीफ मे कुछ कहु, मेरे शब्दकोश मे शायद वो शब्द नहीं जो आपकी कविताओं की तारीफ कर सके, फिर भी बस इतना कहूंगा कि इतने सरल स्वभाव मे, सरल शब्दों के साथ आपकी कविताएँ और उनके अर्थ मन को बहुत भाते है, बहुत ही प्रभावशाली कविताएँ आपने हमे दी बहुत सुन्दर बहुत खूब.. आपका धन्यवाद.
Tahe dil se aapkaa shukriya mitr
umda…………..
Shukriya Babbu Ji ……
बहुत उम्दा, शानदार, जानदार, दमदार SHISHIR जी
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji …..