मुझे बरबाद कर वो चैन से मुँह ढक के सोते हैंयहाँ मालिक सभी क्या हुस्न के ऐसे ही होते हैंफूल की क्या खता वो तो खिलेगा वक्त आने पेये तो अलियों की गलती है जो अपना चैन खोते हैंकिसी के सांस की खुशबू भुला जो भी नहीं पातेछुपा तन्हाई में खुद को वो मन ही मन में रोते हैंजिन्हें मालूम है ये प्यार तो केवल तड़प देगावो इसके बीज ही मन में कभी अपने ना बोते हैंउम्र भर संग निभाने का अगर वादा करे कोईए मधुकर जान ले वो शब्द अक्सर निकले थोते हैं शिशिर मधुकर
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लाजवाब सर।
Tahe dil se shukriya Vijay ……
बेहद ही खूबसूरत………..
Tahe dil se shukriya Babbu Ji ……
Lajawab
Tahe dil shukriya Arun……