अब और कुछ नहीं चाहताज़िंदगी की रंगीनियों परमातम का गीत चाहता हूँक्या हिस्से आया हैसब कुछ भूला करकब्र के लिए दो गज जमीन चाहता हूँदिख जाते हैं कुछमुखौटे लगाए चेहरे सूरज की रौशनी मेंबस इसलिएमैं अंधेरी रात चाहता हूँबहुत काट लिया हूँ ज़िन्दगी कोअब इस दर्द से रिहाई चाहता हूँगमो के सैलाब में बहुत हिचकोले खा लिया हूँअब किसी किनारे आ करठहर जाना चाहता हूँदर्द कब ,क्यों औऱ किसने दियाक्या हिसाब करूँ अब मैंआज की रात बसएक गहरी नींद चाहता हूँ–अभिषेक राजहंस
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
मार्मिक भाव,सुन्दर रचना।
khoobsoorat……………