शीर्षक-आखिर तुम क्यों चली गईतुम क्यों चली गईतुम तो थी ज़िन्दगी मेरीफिर मेरी साँसे ले कर क्यों चली गईंआँखों मे बसी थी तुमफिर क्यों मेरा ख़्वाब मुझसेतुम छीन ले गईकुछ तो कहना था नाजाते -जाते क्यों सिर्फ खामोशी दे गयीमेरे हिस्से की रौशनी ले करमुझे अंधेरा कर गईआखिर तुम क्यों चली गईतुम ही बताओतेरे बिना जी पाऊँ कैसेदुनिया तो है अब भीपर तुम ही तो थी दुनिया मेरीढूंढूं कहाँ तुम्हेतुम्हारी खबर कहीं सेअब क्यों मिलती नहींअब क्यों दर्पण मेंतुम्हारा अक्स दिखता नहींतुम्हारे जाने के दर्द परअब कोई मरहम काम करता नहीं–अभिषेक राजहंस
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
दिल के एहसास को अच्छा बयां किया है।
bahut achhe….pahle padhi hai maine shayad yeh………
बहुत अच्छे