काम जोरों पर है
+++***फूटी किस्मत लिखी, कागज़ कोरों पर है,खुद करके काली करतूत दोष औरों पर है !!
टूट-फूट कर बिखरें, भू-माता के टुकड़ेंउनकी मरम्मत का काम जोरों पर है !!
पूरा होने की आस कतई मत रखनासुना है इसका जिम्मा अब चोरों पर है !!
हो हुल्लड़ करना, फिजूल रोब ज़माना,ये काम, छटें-छटायें हरामखोरों पर है !!
सलामती की अब कोई भी आस न रखनाक्योंकि मोर पकड़ने का कामचोरों पर है !!
साम्प्रदायकिता सद्भाव न जाने किस मोड़ पेइनकी देख-रेख का भार, आदमखोरों पर है !!
रक्षा करना अब खुद की अराजकता से”धर्म” सुधार का काम ज़ुबानजोरों पर है !!!!!डी के निवातिया
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वाह्ह्ह वाह्ह्ह….क्या व्यंग कसा है….उम्दा…. मैं निवातियाजी हमेशा कन्फूज़ रहता हूँ ‘ओरों’ ‘ओरो’ जैसे शब्दों में…. आपने जो काफिया रखा है उसमें ‘अनुस्वार’ लगता है क्या देखिएगा….
आपकी दिव्य दृष्टि के हम कायल है , बहुत बहुत धन्यवाद आपका बब्बू जी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,’ओरो’ नहीं ‘औरो’ होना चाहिए ,,,,,यक़ीनन अनुस्वार भी अवश्य लगना चाहिए बहुवचन में प्रयोग है ,,,,,,,,,,,,,,,,,, सीधे लिखने से ऐसी गलती हो जाती है ,,,,,,,,,तहदिल शुक्रिया आपका ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इसी तरह मार्गदर्शन करते रहिये !
Bahut bhadiya vyang …….
बहुत बहुत धन्यवाद एवं तहदिल शुक्रिया आपका शिशिर जी
बहुत ही खुबसूरत रचना सर
बहुत बहुत धन्यवाद एवं तहदिल शुक्रिया आपका…..Bhawana Kumari JI.