था गुमशुदा जो खुद से मैं
क्यूँ ढूंढ़ कर लाई मुझे
जब मिल बैठा था खुद से मैं
क्यूँ भुला दिया तूने मुझे
जीने लगा था तुझमे मैं
कोई भी होश न था मुझे
खोया रहा तेरे सपनो में मैं
क्यूँ रातों को तन्हा छोड़ा मुझे
बचा था खुद में थोड़ा जो मैं
ख़रोंच उसे ऐसा लूटा मुझे
चाहूँ किसी को दिल में बसाना मैं
इतनी भी जगह न है बाकी मुझे
तेरी हर खता को सजदा किया हूँ मैं
फिर भी इतनी बड़ी सजा दी है मुझे
जिंदगी तेरे नाम किया था मैं
और तूने जिन्दा लाश बनाया है मुझे
bahut khoob……
धन्यवाद।
Ati Sundar……..!
धन्यवाद।