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wah kya kahane. khubsurat.
बहुत बहुत धन्यवाद आपका बिंदु जी ,,,,,,,,,,!
Bahut khoob Nivatiya Ji……..
बहुत बहुत धन्यवाद आपका शिशिर जी ,,,,,,,,,,!
प्यार करता हूँ !’
उस पर एतबार करता हूँ |
सदा तकरार करता हूँ |
दिल गुलजार करता हूँ |
मैं भी प्यार करता हूँ !!
हर अदा पर उसके इजहार करता हूँ |
बहके दिल ना मेरा प्यार करता हूँ !
बिरहा -बहार झकझोर पढ़ता हूँ |
मुझे देखो मैं प्यार करता हूँ !!
गुदगुदाया रात -दिन नीद ओ जगता रहूँ |
सोचता वाहो में उसके उलझे ही रहूँ |
अहसास के ठावँ-गाँव में ही रहूँ |
मुझे देखो मैं भी प्यार करता हूँ !!
ज्ञान की गंगा में गोता खा रहा हूँ |
नदी बहुत गहरी है उसीमे रहा हूँ |
कई वर्षो से डूबता उतरा रहा हूँ |
कमनीय कामना का दीदार करता हूँ|
व्याधियों से घिरा पर प्यार करता हूँ|
देखो मुझे मैं भी प्यार करता हूँ !!
ज्ञान की गंगा में गोता खा रहा हूँ |
नदी बहुत गहरी है उसीमे रहा हूँ |
कई वर्षो से डूबता उतरा रहा हूँ |
कमनीय कामना का दीदार करता हूँ|
व्याधियों से घिरा पर प्यार करता हूँ|
देखो मुझे मैं भी प्यार करता हूँ !!
दिखे दिखता दिलदार दिलवर दिलेर दिखाई |
लिखे लिख-लिख लिखते लरिकन लरिकाई |
लड़ते -लड़ते लाखों लालित्य लाल लगाई |
सज सुघर सुह्रद सजल साहित्य सजाई |
विश्व के साहित्य प्रेम को साकार करता हूँ|
मैं उस पर एतबार करता हूँ ||
दिखे – दिखता दिलदार – दिलेर दिखाई |
लिखें लिख-लिख लिखते लटिकन लरिकाई |
लड़ते -लड़ते लाखों लालित्य लाल लगाई |
सज सुघर -सुहृद सजल साहित्य सजाई |
विश्व साहित्य प्रेम को साकार करता हूँ |
मैं अक्सर एतबार करता हूँ ||
शर्माती मुस्काती कभी खुलकर गीत सुनाती |
अंधेरों को चीर-चीर उजाला दिव्य दिखाती ||
कौतुभ कांति – शांति समेटे दिल बहलाती |
मेरे प्यार में विह्वल होकर गीत सुनाती |
|सुख समृद्धि सस्वर समेटे गजल सुनाती |
भाषा भाषिता संतुलित संस्कार सजाती |
छंद लचारि अलंकारादि मंजरी मन भाती|
हरित शिल्प शीतल सुजलाम सुफलाम दिखाती |
प्रकृति सुंदरी का प्रति दिन दीदार कराता हूँ |
देखो मैं भी प्यार करता हूँ ||
कौन कहता मुझे कि प्यार नहीं करते हैं !
प्यार करता हूँ तकरार कहीं करता हूँ !
मानवता समेंटे तन बदन बिहार करते हैं |
बकुल बहलि आंतरिक गुलजार करता हूँ ||
उस पर इतबार करता हूँ !
सदा तकरार करता हूँ !
बहके दिल प्यारकरता हूँ |
मै भी प्यार करता हूँ ||
बहुत बहुत धन्यवाद आपका सुखमंगल जी ,,,,,,,,,,गलत जगह पर रचना पोस्ट की है आपने ,,,,,,,,,,,,,यह रचना पोस्ट करने का स्थान नहीं अपितु आपकी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, रचना पटल के माधयम से सम्मलित कीजिये ! शुक्रिया आपका !
बहुत बढ़िया…. जिसे…उसे… के साथ ले…दे होगा…मुझे लगता…रुआब या रुबाब …दिल में जब प्यार होता है तो तरंगित होता है…इस लिए पूछा…अन्यथा न लें….
बहुत बहुत धन्यवाद आपका बब्बू जी ,,,,,,,,,,आपका सुझाव् सराहनीय एवं अनुकरणीय है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,”रूआब” ही प्रयोग किया गया है इस आशय से की साथ पाकर स्वत: ही गौरन्वित अनुभव होने लगता है, चेहरा खिलने लगता है चेहरे रुआब के भाव झलकने लगता है ! आपके सुझावानुरूप “रुबाब” भी उचित है क्योकि वह “शान” या “रोब” को इंगित करता है !
आदरणीय…. रुबाब से मतलब रबाब है… वाद्य यंत्र है जिसके बारे मैंने कहा था… अब प्रचलन में नहीं यह….लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जी के साथ किसी ने बजाया है… कौन से गीत में नहीं याद अब…. हाँ जो अभी याद है वो बता रहा हूँ…. मेरा फेवरिट सीरियल है इस लिए याद .. हाहाहा… डी डी पे सीरियल आता था मिर्ज़ा ग़ालिब… गुलज़ार साहिब का बनाया… उसमें रबाब बजाया गया था… ग़ज़ल थी ‘दिल ही तो है न संगो खिश्त’ चित्रा सिंह जी की गयी है नीना गुप्ता जी सीरियल में ग़ज़ल की संगीतज्ञों के साथ प्रैक्टिस कर रही हैं… बाहर एक शख्स सीढ़ीओं पर बैठा जो वाद्य यंत्र बजाता है वो रबाब है…
बिल्कुल सत्य कहा आपने बब्बू जी,,,,,,आपके विचार से पूर्णत: सहमत हूँ ,,,,,,,,,रुबाब अर्थात रबाब का मतलब (यानी के एक प्रकार वाद्य यंत्र भी होता है) ठीक उसी प्रकार रूआब का आशय कही कही रुबाब से ही लिया जाता है दोनों ही संदर्भ में इसका अर्थ “शान, रोब,” में प्रयोग किया जाता है, हालांकि सही शब्द “रूआब” ही होता है जैसा अभी तक प्रयोग में देखने को मिला है !
रुबाब के संदर्भ में एक जो मैंने पढ़ा था फिर से आज आपके माध्यम से पुन:स्मरण हुआ जो निम्नवत है
एक साइट पर जिसका लिंक साझा कर रहा हूँ यह स्पष्ट किया गया है
https://hi.glosbe.com/mr/hi/रुबाब
रुबाब हिन्दी
अनुवाद और परिभाषा “रुबाब”,
रुबाब
रोब { noun }
शान { noun }
आपके साथ सकारात्मक चर्चा कर आनद की अनुभूति हुई इसी प्रकार हमारा ज्ञान वर्धन कराते रहे , पुनश्चय धन्यवाद आपका !