महब्बत की अगन है और मैं हूँ….न मिटता ये दहन है और मैं हूँ….न पूछो हाल दिल मेरा फ़रिश्तो….बचा दर्द-ए-कफ़न है और मैं हूँ….नहीं अपना कहीं कोई जहां में…अलग सब का चलन है और मैं हूँ….रहो तुम अपने दिल के आशियाँ में….मुझे फुरकत सहन है और मैं हूँ….अदावत हुस्न की तो पूछना मत….कभी सांसें हवन हैं और मैं हूँ…..खिलाफत थी जिसे हमसे कहे अब….न तुम बिन यह चमन है और मैं हूँ…..करो कोई इलाज-ए-दिल कि ‘चन्दर’….फुगाँ-आहो दफ़न है और मैं हूँ….\/सी.एम्.शर्मा (बब्बू)
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सुन्दर अभिव्यक्ति बब्बू जी
तहदिल आभार आपका…Mahendraji….
ati sundar babbu ji …………..
तहदिल आभार आपका….Madhukarji…
bahut khoobsurat panktiya
तहदिल आभार आपका….Rajeevji….
बेहद खूबसूरत बब्बू जी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कमाल लिखा आपने,,,,,,,,,,,,,,,एक दो जगह टंकण त्रुटियाँ देख ,,,,,,,,,मुझ से भी अक्सर ऐसी गलती होता है ,,,,,,,,,, !
तहदिल आभार आपका….निवतियाजी… खुद की गलतियां पता नहीं चली मुझे… कृपया इंगित करियेगा…
शुक्रिया बब्बू जी,,,,,,,,,,,,,,,,महब्बत की जगह शायद मुहब्बत या मोहब्बत होना चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,महब्बत मैंने कभी पढ़ा नहीं यदि कोई और अर्थ हो तो अवश्य हमे भी बताकर अनुग्रहित करे ।
निवातियाजी….सही लफ्ज़ तो महब्बत ही है…मुहब्बत लिख सकते हैं…पर मोहब्बत नहीं… बोलते हम मोहब्बत ही हैं ज्यादातर…
बहुत बहुत धन्यवाद आपका बब्बू जी, इस बाबत हमारा भी ज्ञानवर्धन करे जिससे सही वर्तनी का बोध हो सके ,,,,,,,,,,,,,,,,अभी तक हमें सभी जगह मुहब्बत ही देखने को मिला है हां यह सही है की कई लोग इसे मोहब्बत भी लिखते है लेकिन वह सही नहीं है !
निवातियाजी… कुछ जानकार हैं जिन्होंने मुझे बताया था कुछ उर्दू / फ़ारसी के लफ़्ज़ों को… मेरे एक मित्र ग़ज़ल लिखने के बहुत शौकीन थे…१०-१५ वर्ष पहले इकठे रहे हम…पिछले ५ साल से उसका कुछ पता नहीं है मुझे… ग़ज़ल की जानकारी जो भी है उसका रहम-ओ-करम है… हाँ मैंने आप को एक लिंक भेजा है… यह मधुकर जी और मनी जी को बहुत पहले भेजा था उसमें देख सकते हैं… पर नेट पे जो जानकारी है ज़रूरी नहीं की वो ही सत्य हो… मेरी जानकारी का आधार वस्तुतः जो उर्दू/फ़ारसी लिखते हैं ग़ज़ल में वही हैं कोई किताब या साइट नहीं…. इस लिए मैं उसे सही ही मान कर चलता हूँ…. इस लिए वो शेयर भी करता हूँ जितना पता है…. क्यूंकि भाषा कोई भी हो उसका सही उच्चारण और प्रयोग होना चाहिए यहां तक हो सके… आपके जानकार कोई हों जो उर्दू/फ़ारसी जानते हों वो भी इस पर रौशनी डाल सकते हैं… और अगर अलग कोई जानकारी मिले तो कृपया मुझे सूचित अवश्य कीजिये….
आपके वक्तव्य से पूर्णतय सहमत हूँ बब्बू जी,,,,,,,,,,,,यक़ीनन जो जानकारी नेट पर उपलब्ध होती है आवश्यक नहीं पूर्णरूपेण सटीक हो, सबके अपने अपने ज्ञान और विवेक के आधार पर जानकारी साझा की जाती है, कुछ विरोधाभासी भी होती है तो कुछ सकारात्मक भी, इसलिए उचित अनुचित का चुनाव करना भी एक बड़ा प्रयोजन और कठिन कार्य होता है। आपके इस कथन से सौ फीसदी सहमत हूँ और इत्तेफाक रखता हूँ की “भाषा कोई भी हो उसका सही उच्चारण और प्रयोग होना चाहिए ” उसके लिए हम सब का दायित्व है की उसके लिए जितना हो सके सकारात्मक प्रयास करें ।
आपके साथ चर्चा कर मन हर्षित होता है, आपके इसी प्रेम का अभिलाषी हूँ !