गद्दारों को फांसी दे दो, भीतर घात जो करते हैंअपने वतन के खाते हैं , गले दुश्मन के लगते हैं।सबसे पहले घर को देखो, युद्ध फिर तुम कर लेनाछुपे कहाँ हैं ऐसे शातिर, उसका पंख कुतर देना।किस खेत की मूली है पाक , भीख से काम चलाता हैतंगहाल है जीवन उसका , मांग – मांग कर खाता है।नंगा – भूखा बोलेगा क्या , छुप कर वार कर जाता हैआतंकवाद पनाह लेता हैं , एक – एक मर जाता है।हर बार कष्ट दिलाते हो , हर बार तुझे बचाते हैंअपना अंग समझ कर तुझको, अपना धर्म निभाते हैं।बाज नहीं आदत से आते , अब तो कुछ करना होगाजितना तुम लगाओ ताकत, अब तुमको मरना होगा।चिंगारी बन गया शोला, जला कर भस्म कर डालेंगेहर बार मुँह की खाया है, इस बार कसर निकालेंगे।आते नहीं सामने क्यों तुम , लेकर हिजड़ेे फौज कोगीदड़ – चूहे से बत्तर हो, क्या नहीं जानते नौज को।माथे की चमकती बिंदिया, मांग सिंदूरी कहाँ गयीआँसू संग बहते ये कज़रा, चूड़ा – कंगन कहाँ गयी।है खामोश हिंद हमारा, रग – रग में गुस्सा छाया हैकुछ करने को सोच रहा, इस बार देख बौराया है।बार – बार की गीदड़ भभकी, भारी पड़ने वाला हैदुनिया के अब मानचित्र से, पाक ये हटने वाला है।शंखनाद बजनेे वाला है, नींद तेरा उड़ जायेगासुनो पाक के मुल्लाओं , ईंट से ईंट बज जायेगा।सेना के ये वीर सिपाही , चून – चून कर मारेंगेदफ़न नसीब नहीं होगा , अब धरती पर ही जारेंगे।माँ की ममता रोई है , बहनों से भाई बिछड़ा हैपत्नी पागल बन गयी, बाप का आशियाना उजड़ा है।
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आदरणीय बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा बिन्दु जी आपकी सेवा में बावरा जी की लाइन प्रस्तुत है-
वीरों की शहादत को न देश भुलायेगा कभी
पाक तेरी करनी का बदला चुकाएंगे
अगुवाई राम की थी लंका जलकर राख हुई
वैसे ही अधम तेरे पाक को जलाएंगे
वह दिन दूर नहीं घर में घुसेंगे तेरे
शास्त्री जी की अगुवाई लाहौर तक ढाये थे
बावरा बजायेंगे अब तेरे घर की ईंट ईंट
नक्से से पाक तुमको मिटायेंगे ||
Man dene ke liye bahut bahut dhanyabad singh sahab.