हमारी हम जानें, तुम्हारी तुम जानों
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!तुम में रमते हम और हम में तुम होये एहसास-ऐ-दिल कभी तो पहचानोंसच, करीब कितने है हम एक दूजे के,हमारी हम जानें, तुम्हारी तुम जानों !!
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रोज़ देते हो दस्तक दिल खट-खटाते होआकर याद, वक्त -बे- वक्त, सताते होक्या करते हो, कुछ, ऐसा, महसूस कभी,हमारी हम जानें, तुम्हारी तुम जानों !!
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बदलते मौसम की चंचल शौख अदाबयान करती है दास्ताँ तेरे हुस्न कीक्या हवाओं के रुख को पहचाना कभी,हमारी हम जानें, तुम्हारी तुम जानों !!
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सच है की हम गैर सही नजरो में उनकीफिर भी कोई तो रिश्ता बाकी है जग मेंभरोसा दिल पे खुद के करना जानो कभी,बाकी हमारी हम जानें, तुम्हारी तुम जानों
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स्वरचित: डी के निवातिया
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Ati sundar……
बहुत ही सुन्दर सर