बड़े नज़दीक जीवन में अगर कोई भी आता हैसामने वो अगर आए तो मन थोड़ा लजाता हैसांस जोरों से चलती है नज़र उठती नहीं ऊपरहाल कुछ और होता है ना जो चेहरा दिखाता हैआज वो दूर है मुझसे मैं भी मशगूल हूँ खुद में मगर गुजरे हुए पल तो ये मनवा ना भूलाता हैमेरी मजबूरियां समझो और इस सच को पहचानोविछोह तुझसे मुझे अब भी अकेले में रूलाता हैतसल्ली मन को देना भी लो मधुकर आ गया मुझकोखुदा मिलता नहीं सबको जो भी उसको बुलाता हैशिशिर मधुकर
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उम्दा………..
Shukriya Babbu Ji …………….
Wah wah Kya baat hai
Dhanyavaad aapkaa…..
बहुत सुंदर पंक्ति
Tahe dil se shukriya ……