कैसे और क्या लिखूं कविताकुछ समझ आ नहीं रहाभण्डार खो गया विचारों काये क्या हो गया कुछ सूझ नहीं रहाकुछ बूझ नहीं रहालिखने को उत्सुक हो रहापर विचार बन नहीं रहा जीवन की परेशानियों मेंऐसा मैं तो खो गयाकविता कैसे लिखते हैंये भी मैं तो भूल गया कैसे और क्या लिखूं कविताकुछ समझ आ नहीं रहाशब्दों की बिखर रही लड़ियाँये क्या हो गया उल्झन सी रहती हैजब तक न लिखूं कविताविचार ही जब सिमट गयातो कैसे लिखूं कविता उल्झनों में विचार खुल नहीं सकताकविता का द्वार खुल नहीं सकताजब द्वार ही दिमाग का बंद हो गयातो कविता का विचार बन नहीं सकता कर लूं अब प्रयत्न कितनाशब्दों का द्वार खुल नहीं सकताआधार ही जब विचारों का बंद हो गयातो कविता का निर्माण हो नहीं सकता कैसे और क्या लिखूं कविताकुछ समझ आ नहीं रहाहुनर ही टूट कर बिखर गयाये क्या हो गया देवेश दीक्षित7982437710
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बहुत खूब
Bahut shukriya
अति सुंदर विचार प्रवाह …………………………आंशिक टंकण त्रुटियाँ पर नज़र करे !
Thank you