👉दिनांक : ३०-०१-२०१९👉दिन : बुधवार👉विधा : मुक्तछंद💐💐💐💐💐💐💐💐तू भी आज बरस जा बदराछलक रहे नयनन से नीर ।💐पीहर छूटा, सखियाँ छूटींबचपन का संसार गयायौवन आते सारे बिछड़ेरक्तबन्ध भी हार गयाएक अनजाने बंधन मेंसुधियों की पहचानी पीरतू भी आज बरस जा बदराछलक रहे नयनन से नीर ।💐सबकुछ सौंपा साजन कोवो मुझसे मुख मोड़ गएसौतन से वो प्रीत लगाकरमुझसे रिश्ता तोड़ गएये कैसा गठबंधन पायाधरी न जाए मुझसे धीरतू भी आज बरस जा बदराछलक रहे नयनन से नीर ।💐सूनी-सूनी सेज देखकरअगन विरह की खूब सतातीसूनी-सूनी गोद पड़ी हैकिसकी सुध जीवन जी पातीशिखर हिम सा पिघल रहा हैबहता दृग की छाती चीरतू भी आज बरस जा बदराछलक रहे नयनन से नीर ।💐नारी का ये जीवन कैसाजगत जननी है कहलातीममता के कितने रूपों कोखुद को बाँट के दिखलातीरिश्तों की खातिर जीवन मेंसह लेती है वह सारे तीरतू भी आज बरस जा बदराछलक रहे नयनन से नीर ।💐तू भी आज बरस जा बदराछलक रहे नयनन से नीर ।💐💐💐💐💐💐💐💐👉स्वरचित, स्वप्रमाणित👉विजय कुमार सिंह👉पटना, बिहार[email protected]सर्वाधिकार सुरक्षित
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Behtreen rachnaa Vijay
सहृदय आभार आपका.
BAHUT KHUBSURAT GEET..
उत्तम सृजन के लिए बधाई आपको ……………………आपकी लेखनी का स्वाद मंत्रमुग्ध करता है !