इम्तिहां ले रही है ज़िन्दगी पर मैं भी ना हारी हूँमेरी ताकत बने हो तुम ज्यों मैं शक्ति तुम्हारी हूँतू मेरे पास है हर पल मुझको एहसास होता हैमुझे भी है गुमां अब तो लगूं मैं तुझको प्यारी हूँबने हो नींव का पत्थर मुहब्बत के महल का तुम तुम्हारे दम पे मैं इतरा रही इसकी ऊँची अटारी हूँमेरे इस रूप के चर्चे तो बस तेरी बदौलत हैंमैं तो साड़ी के घूंघट की फ़कत पतली किनारी हूँज्यों मेरे मान की खातिर फना तू हो गया मधुकरकभी ना टूटने वाली मैं भी असली वो यारी हूँ शिशिर मधुकर
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
बेहद खूबसूरत……”बन के एक नींव का पत्थर महल तुमने बनाया है” …. यह भाव सही नहीं आता लगता…. हो नींव का पथ्थर महब्बत के महल के तुम…मुझे लगता ऐसा कुछ भाव होना चाहिए…क्या ख्याल है आपका…
Tahe dil se shukriya aadrneey Babbu Ji. Aapke sujhaav ke anusaar aawashyak sudhaar kiya hai. Kripya bataaen ab kaisa lag raha hai.