भले तू दूर है मुझसे मगर दिल में तो बसता हैमुझे संतोष है इसमें तू मिलने को तरसता हैसमेटे दिल में तूफां को घुमड़ आते हैं बादल भी मगर कुछ तो वजह होगी मेघ हर ना बरसता हैजो जैसा है उसे वैसा ही अब तो मान लो तुम भी दुखी रहता है वो इंसा जो सबको सांचे में कसता हैजुदा होता है वो इंसा जिसे गैरों की परवाह हो ज़माना आज ऐसे लोगों की फितरत पे हँसता हैमुहब्बत में भी जो बस दे कभी उम्मीद ना रक्खेसाँप तन्हाई का उसको कभी मधुकर ना डसता हैशिशिर मधुकर
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अति सुंदर ………..!
Dhanyavaad Nivatiya Ji …………………
बेहद खूबसूरत……
Tahe dil se shukriya Babbu ji ………….