ज़िन्दगी इक सफर सुहाना है….गुनगुनाओ मधुर तराना है…..क्या मिला और रह गया क्या है…सोच कर ज़िन्दगी गँवाना है….चाहतें कब कहाँ हुईं पूरी…मन का संतोष ही खजाना है…भूल जाओ बिछड़ गया जो भी….क्यूँ सफर नर्क सा बनाना है….मौत ‘चन्दर’ तेरी बने उत्सव….कर्म ऐसे कमा के जाना है….\/सी.एम्.शर्मा (बब्बू)
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Kya baat hai sharma sahab , bahut khub
तहदिल आभार आपका….Rajeev ji…..
सुंदर ग़ज़ल श्री मान
तहदिल आभार आपका….Binduji…..
Bahut bhadiya ……
तहदिल आभार आपका….Madhukarji….