मुहब्बत दूर रह कर भी कोई मुझसे निभाता हैवो साथी हर घड़ी मुझको तभी तो याद आता हैउसे एहसास है मैं जख्मों को सीने में रखता हूँ मेरी हर पीर को वो प्यार से अपने मिटाता हैखुदी को भूल कर जब वो मेहरबां होता है मुझ पर दौलतें हुस्न की अपनी सभी खुल कर लुटाता हैकभी खुद को मेरी हस्ती से उसने दूर ना समझातभी वो ख्वाबों में आकर मेरी नीदें चुराता हैचमक मधुकर के चेहरे पे फ़कत यूँ ही नहीं आतीअसर ऐसा ही होता है वो जब मुझको बुलाता हैशिशिर मधुकर
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behad khoobsoorat……….
Tahe dil se shukriya Babbu Ji ……..
apno ki vyakhya aapne bahut hi sunder roop me pardarshit ki hai. Aap shabdo ke jadugar hai shishir sahab
Tahe dil se shukriya aadrneey Rajiv Ji …….