है इक बुलबुला यह ज़िन्दगी तरह २ के रंग भी हैं शामिल फूला रहता है बड़े गुमानों में यह बसी रहती है इसमें पूरी कायनात अपनी ही दुनिया में हो मगनभूले रहते है हम इसके फटने का राज़ पाने पर बुलन्दियाँ इन्सान करता है नाज़इसकी ख़ातिर भटकता है यहाँ वहॉ जाने कहॉ कुछ भी करने से नहीं आता यह बाज़ पानी और हवा से भरा मचलता रहता है हर पल कई रंगों के सपने भी संजोता है दुनिया की बात तो एक तरफ़ कभी ख़ुद को भी भूल जाता है मगर एक दिन एैसा भी आता है हवा की मनिंद बिखर हैआकार निराकार हो जाता है दिखता था जो रंगो से भरपूर जाने कहॉ सिमिट जाता है बुलबुलों सी जि़न्दगी मोहताज है पलों की पूरा होते ही समय हवा हो बिखर जाता है यही है ज़िन्दगी,जैसे बुलबुला हो कोई मान लेते है इसे जीवन हम इसी भ्रम में जीवन गुज़र जाता है यही है कहानी छोटी सी जि़न्दगानी
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झूठ…स्वार्थ और दम्भ भरी ज़िन्दगी बुलबुले की मानिंद ही है….बेहद खूबसूरत …..
Babbu JI sarahna ke liye bahut 2 dhanyawad . Jawan ek bulbuls hi to hai Jane kab fatt jaye
Bahut sundar Kiran Ji……
Thank u Shishir JI