मुझे बेच दो दूसरे के हाथ , ये मंजूर नहींमैं झुका हुआ जरूर हूँ, इतना मजबूर नहीं।मुझे मेरे हाल पर यूँ, तड़पने के लिए छोड़ दोमुझे मालूम है , मैं आपके जैसा मशहूर नहीं।तिश्नगी में तड़प – तड़प कर, जान हम भी दे देंगेइस दस्तूर के लिये, हमारा कोई कसूर नहीं।हम तो चाहते थे भला , अपने जमाने के लियेजालिमों ने रौंद डाला, मैं इतना मगरूर नहीं।कलेजा अपना ‘बिन्दु’, पहाड़ पत्थर का रखता हैशिकस्त दे दे कोई भी , ऐसा अब दस्तूर नहीं।
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा जी बधाई स्वविकारें ,
bahut khoob…………..
bahut khoob………….