कह दो-कह दो
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कह दो, कह दो, स्वामी तुम न आओगे !इस कलयुग में दरस तुम न दिखाओगे !!
सतयुग में लिए तुमने कई अवतारमत्स्य, कूर्म, वराह व नृसिंह ये चारदुष्ट्चरो ने जब पाप की सीमा लांघीये रूप धर कर किया था उनका संहारफिर क्यों इस युग में तुमने मुख है मोड़ाकब तक हमको ऐसे तुम तरसाओगे !!
कह दो, कह दो, स्वामी तुम न आओगे !इस कलयुग में दरस तुम न दिखाओगे !!
त्रेता युग में आये तुम बनकर रामराम-राज का था जग में बड़ा नामअहिल्या, शबरी को पाप से उतारेकितने पुण्य किये थे तुमने कामफिर क्यों इस युग में तुमने मुख है मोड़ाक्या इस बार न दानवो से बचाओगे !!
कह दो, कह दो, स्वामी तुम न आओगे !इस कलयुग में दरस तुम न दिखाओगे !!
द्वापर युग में आये बनके राधे-श्यामयशोदा के लाल किये जग में बड़ा नामद्रोपदी की लाज बचाई, किया पांडव उद्धारगीता के उपदेश में बताया जीवन का सारफिर क्यों इस युग में तुमने मुख है मोड़ाक्या इस बार ना भक्तों को पार लगाओगे !!
कह दो, कह दो, स्वामी तुम न आओगे !इस कलयुग में दरस तुम न दिखाओगे !!!!!स्वरचित : – डी के निवातिया
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बहुत ही बढ़िया ………………………………… जबरदस्त ………………………………… निवातिया जी !
तहदिल शुक्रिया आपका ………SARAVJIT JI.
बहुत ही सुन्दर सर ………………….लाजवाब रचना
तहदिल शुक्रिया आपका …………..BHAWANA JI.
Ati sundar Nivatiya Ji ……
तहदिल शुक्रिया आपका …………..SHISHIR JI.
सुंदर भक्ति रस
तहदिल शुक्रिया आपका …………..BINDU JI.
बेहद खूबसूरत…..
तहदिल शुक्रिया आपका …………..SHARMA JI.
Sunder Rachna DK Sir
तहदिल शुक्रिया आपका …………..Ram Gopal Ji.