शजर एक विशाल खड़ा हैहर पत्ता उसका बेटा हैअटल अडिग हिमालय सा वहखड़ा रहकर भी लेटा है।जड़ सजल धरती के नीचेखुला आकाश है ऊपरचेतन उसके अंदर बसतारग रग में छुपा है हूनर।डाली डाली अंग है उसकातना कितनी निराली हैजड़ के ऊपर धड़ है उसकाहर सखा संगी प्यारी है।हर पत्ता ही सौर्य है उसकाफूल फल प्यारे प्यारेकितना सकून सब को देताछाँव देखो न्यारे न्यारे।हम सब की सेवा करता हैफल देता मीठा मीठाफिर भी काट देते उसकोकर देते हैं हम पीठा।आँधी और तुफान से लड़ताधूप ताप सब सहता हूँहर मौशम को जानता हूँ मैंफिर भी खड़ा रहता हूँ।पत्ते उसके सब झड़ जाते हैंटहनी भी टूट जाती हैइसका भी गम नहीं है थोड़ासुख दुख सा वो साथी है।नंगा बदन पतझड़ में होतावसंत हमे सजाता है।फूल फल जब इसमें लगतेपकते फल हंसाता है।शजर – पेड़ – वृक्ष
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Very nice
Bahut sundar soch ha. ,,,,,i Prakriti ko sanjoy rakhne mein manavta ka Kalyan hai
बहुत सुन्दर….”पत्ते मेरे” में मेरे कि जगह उसके होगा….आप परोक्ष कथन कर रहे हैं….देखियेगा…
अति सुंदर बिंदु जी……..