ज़िंदगी
आ कुछ करके दिखाइतिहास के पन्नों मे नाम हो लिखाकुछ ऐसे सिद्धांत बनाकि रात मे भी भानू हो जग्गाप्रीति के अपने सौ मन हैंकभी राम के आगे है सियातो कभी पीछे लखन हैयशोदा का नन्द लाला वृज का उजाला हैराहुल ने सब कुछ परिवर्तित कर डाला हैमनवीर बन , सुजय हो जाअधर्म से तानुप्रिया हो जा, उज़्मा हो जावर्षा मे भी दीपक जलासूखे में वर्षा गिरा ,सरिता बहाशिक्षा के मार्ग मेंकभी अजगर मई तो कभी तक्षिल हैलेकिन तू मत भूलतेरे पास रोहित दिल हैभानू जब ऊपर जाएगा, वह रोहित फैलाएगाऔरों का शुभ कर, तू प्रीती पाएगाप्रियंका को भले तू समझे ख़ास हैसब मृगतृष्णा है और बकबास हैविद्वानों की मोनिका मानयोगेश्वरी को अपने साथ तानपंक मे से पंकज ना निकालवरना समय से पहले आयेगा काललक्ष्मी के पीछे ना भागउसका खुद का संसार हैवो नहीं लाचार हैजो ला के पीछे है वो उसका यार है द्वारा – मोहित सिंह चाहर ‘हित’ कुछ शब्दभानू – सूरजमानवीर – चतुरमोनिका – सलाहकाररोहित – सूर्य की किरणेरोहित – लालराहुल – विजेताप्रियंका – सुंदरता/ चिन्हतनुप्रिया – पतलीयोगेश्वरी – पूजा की सामग्रीसुजय – विजयउज़्मा – सबसे महान
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सुंदर रचना के लिए बधाई स्वविकारें
वाह….क्या अंदाज़ है…रचना में लगता दोस्तों की भी कार्यशैली समाहित कर दी लगता…या की संयोग…. हाहाहाहा…बहरहाल बढ़िया अंदाज़….बहुत खूब….बधाई…….