इस दौर में जो चुप हैं,जाहिर है वो बच जायेंगे,पर, ये कोई अकेला दौर नहीं है,कि, वो हमेशा के लिये बचे रह पायेंगे,इस दौर के बाद एक दौर और आयेगा,उन्हें मारने के लिये,जो पहले दौर में चुप थे,जाहिर है, हुकूमत को हर दौर में पता होता है,हुकुम के खातिर कौन है,हुकुम के खिलाफ कौन है,तूफान के सामने सीना तानकर,जो खड़ा रह पाएगा,जाहिर है, तूफान उसके सर से गुजर जाएगा,जो खड़े होंगे, तूफान की तरफ पीठ करकर,जाहिर है, तूफान उन्हें साथ उड़ा ले जायेगा,ये दौर उनका है,जो अपने गुर्गों की भीड़ से कभी हाँ, कभी न,कहलवाते कहलवाते, आए हैं हुकूमत में,जाहिर है, हुकूमत भी उनने सौंप दी है,गुर्गों के हाथों में,इसमें नई कोई बात नहीं,यही किया था इस हुकुम ने,अटल के दौर में,जाहिर है, इससे अलग कुछ और वो नहीं कर सकता था,अपने इस दौर में,अरुण कान्त शुक्ला4/12/2018
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बहुत खूबसूरत…..सन्देश वाहक…कटाक्ष भरी भी….
कटु सत्य …………अप्रतिम ……….उत्तम सृजन !