माटी मांगे प्रीत यह, धरती रहे पुकारबातें फिजूल छोड़के, इसपे करें विचार।खून की होली अब तुम मत खेलोअपनी गलती दूसरे पर न ठेलो।आपस में मिलके हर बात बनाओदीपों के जैसा हर रात सजाओ।एक एक मिलके देखो, तब होगा उपकारबातें फिजूल छोड़के ………… ।।द्वेष अहंकार सब दूर करो अबलालच को भी चकनाचूर करो अब।पाप ना पालो तुम अपने मन मेंघमंड न रखना तूं अपने धन में।जीवन का है साथी, कर्म – धर्म आधारबाते फिजूल छोड़के…………… ।।लोक लाज तूं अपने वश में रखनाभूल न हो ऐसी हर किसी से कहना।बच्चों को भी संस्कार यह देनामांगे जितना उतना प्यार भी देना।चाह रहा हर कौम अब, हो जाए गुलजारबातें फिजूल छोड़के ………….. ।।कूटनीति की तो बात मत करनासत्य सनातन पर कायम ही रहना।प्रेम में जीतो सबके ही दिल तुमखुद रास्ता हो खुद ही मंजिल तुम।सोचा था जो हमने , वो सपना हो साकारछोड़के बातें फिजूल…………… ।।मानवता के तुम राह दिखलाओदानवता को तुम सबक सिखलाओ।धन पर ऐसे तूं गर्व ना करनासबको तो है एक दिन में मरना।यही रीत यही प्रीत , यही देखो संसारबातें फिजूल छोड़के इस पर करें विचार।।
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बहुत खूब क्या लेखन हैं
बहुत बहुत धन्यवाद
bahut hi badhiya……binduji….
BAHUT BAHUT SUKRIYA BABBU JEE……
प्रेक रचना लिखी है बिन्दू जी, बहुत अच्छा।
BAHUT BAHUT SUKRIYA RAMGOPAL JEE……
बहुत ही सुन्दर सर
SUKRIYA BHAWANA JEE….
Bahut aachhe ,,,,,,.SUVICHAR BINDESWAR JI
sukriya kiran jee….
Sir plz mujhe bhi moka de m bhi sundar kavita likh leta hu plz sir mne choti choti kavita likhi h sir plz 1 chans 8630895695 my contect no