मैंने यूँ ही नहीं सब कुछ तेरे ऊपर लुटाया हैजहाँ को छोड़ के तूने मुझे मन में बिठाया हैबड़ी मुद्दत से खुद को अकेला पा रही हूँ मैंएक तू ही फ़कत मेरे बड़ा नज़दीक आया है तुझे मुझसे जुदा करना तो अब मुमकिन नहीं होगा मेरी सांसों में तू कुछ इस कदर घुलकर समाया हैज़माने ने दिखा के भय मुझको कमज़ोर कर डाला एक तू ही है जिसने मेरा हर डर मिटाया हैबनाते रह गए सब राह कांटों की मेरी खातिरमगर मधुकर ने मुझको फूलों पे केवल सुलाया है शिशिर मधुकर
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बेहद खूबसूरत मधुकरजी….. आप अपने इस शेर को….
बनाते रह गए सब राह कांटों की मेरी खातिर
मगर मधुकर ने मुझको फूलों पे केवल सुलाया है
ऐसे सोच कर देखें कुछ फर्क पड़ता क्या आपके भावों का….
बिछाते रहे कांटे सब ही मेरी सेज पर लेकिन
एक मधुकर ही तो है जिसने मुझे फूलों पे सुलाया है
Tahe dil se shukriya Babbu Ji…….. Bhaav yo vo hi hain Babbu Ji lekin aapke dwaara sujhaae gai panktiyon me geytaa ke samasyaa lag rahi hua .