ये बालक कैसा? (हाइकु विधा)अस्थिपिंजरकफ़न में लिपटाएक ठूँठ सा।पूर्ण उपेक्ष्यमानवी जीवन काकटु घूँट सा।स्लेटी बदनउसपे भाग्य लिखेमैलों की धार।कटोरा लिएएक मूर्त ढो रहीतन का भार।लाल लोचनअपलक ताकतेराहगीर को।सूखे से होंठपपड़ी में छिपाएहर पीर को।उलझी लटेंबरगद जटा सीचेहरा ढके।उपेक्षितसाभरी राह में खड़ाकोई ना तके।शून्य चेहरारिक्त फैले नभ साहै भाव हीन।जड़े तमाचामानवी सभ्यता पेबालक दीन।बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’तिनसुकिया
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bahut hi umda bhav…..sir
bahut khoob……………
Sundar lekhan…….