Homeदिनेश कुशवाहकबीर-रहीम और बदलाव-1 कबीर-रहीम और बदलाव-1 विनय कुमार दिनेश कुशवाह 29/03/2012 No Comments खरी खोटी कौन कहे कबीर! अब तो भला-बुरा कोई कुछ भी नहीं कहता इतने शालीन हो गए हैं लोग हज़ारों मील चलकर आई चिट्ठियाँ चिट्ठियाँ नहीं लगतीं इतने औपचारिक हो गए हैं लोग! जल-भुनकर भी मुस्कुराते हैं इतने व्यावहारिक हो गए हैं लोग !! Tweet Pin It Related Posts कबीर-रहीम और बदलाव-2 एकलव्य की तरफ़ से डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी का खाना About The Author विनय कुमार Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.