मदद करो जब औरो की तुमछोटा महसूस उसे न कराना।बोलो वाणी मुख से जब तुमकभी किसीका दिल न दुखाना।काम करवाओ जब किसी से,अपना रुतबा कभी न जताना।झुठ जितना भी सबल दिखें,सच का हमेशा साथ निभाना।राह चाहे कठिन हो तुम्हारी,भ्रष्टाचार से हाथ न मिलाना।कितनी भी सफलता मिले,ईश्वर को कभी न बिसराना।अपने व्यस्त जीवन में तुम,माता पिता को भूल न जाना। अनु महेश्वरी
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बहुत सुन्दर….और साकारात्मक…….
Thank you, Sharma ji…
बहुत ही बढ़िया …………….. अनु जी ।
Thank you, Sarvajit ji…
sandesh deti ek bahut hi khubsoort rachna Anu ji
Thank you, Rajeev ji…
Sundar rachna
Thank you, Abhishek ji…
बड़े सुन्दर भाव अनु जी ,,,,,,,
Thank you, Kiran ji…
अति सुन्दर अन्ाु जी।
Thank you, Ramgopal ji…
अनु जी, आपकी रचना के साथ योगदानकर्ता में आपका नाम आ रहा है लेकिन रचनाकार में “अज्ञात कवि“ प्रदर्शित हो रहा है। कृपया एडिट करके सही कर लेवें। नई रचना पोस्ट करते समय भी नाम सलेक्ट करना नहीं भूलें। धन्यवाद।
Ramgopal ji, mera name abhi tak Kavi list me shamil nahi hua hai.
तो कवि लिस्ट में शामिल कीजिए ना अनु जी।
अब तो आपकी हिन्दी साहित्य की वेबसाइट पर गरिमामयी उपस्थिति हैँ।
Mail to kiya tha, Ram Gopal ji. par abhi tak koi action dikha nahi…