काश तुम साथ मेरे बस यहाँ पे चल रहे होतेदिन अपनी जवानी के खुशी से ढल रहे होतेअगर कोई मुझे भी वक्त पे सच को दिखा देताआज मन को मसोसे हाथ यूँ ना मल रहे होतेतमन्ना मेरी अगर कोई कभी पूरी हुई होतीअधूरे सपने मेरी आँखों में यूँ ना पल रहे होतेतेरे गेसू की छाया ने मुझे गर चुन लिया होतायूँ तन्हा धूप में ना चश्म मेरे जल रहे होतेमेरे मन में अधूरी प्यास गर कोई नहीं होती झूठे लोग मधुकर फिर मुझे ना छल रहे होतेशिशिर मधुकर
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wah kya baat hai…….
Tahe dil se shukriya Bindu Ji ……………
bahut khoob…………..
Tahe dil se shukriya Babbu ji ………………
Wah! Shishir sahab aapne kya baat kahi hai “अगर कोई मुझे भी वक्त पे सच को दिखा देता
आज मन को मसोसे हाथ यूँ ना मल रहे होते” bahut khub
Tahe dil se shukriya Rajiv Ji ……………..
Bahoot khoob
Heart touching
Tahe dil se shukriya Abhishek………………..
बहुत ख़ूब ,,,,,,,,शिशिर जी
Tahe dil se shukriya Kiran JI ,,,,,,,,,,,,,,,,,,