अब किस्मत की खेल नहीं होतादबंगों का घर है जेल नहीं होता।टारगेट पर चलते हैं जान लेते हैंउनका ये प्लान फेल नहीं होता।घूसखोर प्रशासन साथ रहते हैंपर इनका कभी मेल नहीं होता।कुछ तो पैसों पर फिसल जाते हैंकुछ माथे इनका तेल नहीं होता।अपहरण डकैती लेबी वसूलते हैंपड़े चक्कर में तो बेल नहीं होता।हर मंजिल कांटो से भरा है बिन्दुजाने को हर जगह रेल नहीं होती
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Bindu Ji Is rachnaa me aapne saamaajik or prashasnik vyavastha par kataaksh kiyaa hai lekin kahin kahin lack of clarity hai. Doosre aap ise anyatha na ling bhed ki samasya aap ki rachnaaon me bani rahte hai jiske sudhar ki atyant aawashyaktaa hai .
Bindu Ji, bahut sahi likha hai aap ne
बिंदुजी….आप अवलोकन करिये रचना को….स्पष्टता का कहीं कहीं अभाव है और वर्तनी दोष हैं….