कहाँ जाएं मिलें किस से बड़ी मुश्किल ने घेरा हैमुझे अपनों नें क्या लूटा कोई दिखता ना मेरा है मुझे रिश्तों में जकडा है मगर ना प्यार बरसायाअगर जिंदा हूँ मैं अब तक तो ये एहसान तेरा हैभले ही रात लम्बी है और रस्ता भी मुश्किल हैंकोई जगह तो आएगी जहाँ खुशियों का डेरा हैमुकद्दर से कोई कैसे लड़े ये समझा नहीं मैं तो कहीं दुश्वारियां दी हैं कहीं बस सुख बिखेरा हैहाथों को गर ना थाम कर मधुकर चले हमदमबड़ा दूभर समझ लो ज़िंदगी का फिर ये फेरा है शिशिर मधुकर
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umda……..
Dhanyavaad Babbu Ji ……………..
Wah ! bahut khub very nice Shishir sahab
Tahe dil se shukriya Rajeev Ji ………………..