मैं तेरे दिल में बसती हूँ मुझे अभिमान होता हैदेख के गैर तेरे पास चैना मन का भी खोता हैतड़पती हूँ तेरे बिन मैं तुझे तो सब पता है फिरबेवफा जान के मुझको अकेला तू क्यों रोता हैइश्क तो हो गया हमको मगर सच तो नहीं बदलाबोझ परिवार का संसार में हर इंसा ही ढोता हैमिलन दो रूह का ही तो सदा असली मिलन होगादेख के दूरियां तन की तू पलकें क्यों भिगोता हैवक़्त पे कोई जीवन में विजय तो पा नहीँ सकताहर एक इंसान को मधुकर ये तो नश्तर चुभोता है शिशिर मधुकर
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बहुत ही बढ़िया…..इसको ऐसे देखिये….
तड़पती हूँ तेरे बिन मैं तुझे तो सब पता है फिर
क्यूँ बेवफा मान कर मुझको तू अकेला रोता है
Tahe dil se shukriya Babbu ji… Aapkaa sujhaav bhi bahut uttam hai …………..