मैं तन्हा हूँ राह साथी की जाने कब से तकता हूँफना होती हैं उम्मीदें ग़म का मारा सा थकता हूँमेरी आँखों में आंसू तो नज़र ना आएंगे तुमको हर पल मैं अपने मन के अन्दर ही सुबकता हूँ मुझे तो ना मिली है रोशनी चमकीले सूरज कीखुद ही की आग से जैसा भी हूँ वैसा दमकता हूँतोड़नी बँदेशें साहिल की तो मुझको भी आती हैंमगर सैलाब की नीयत से डर मैं भी हिचकता हूँ तेरी उल्फ़त की सच्चाई पता लग जाएगी मधुकरपूछ ले आईने से क्या मैं अंखियॊं में झलकता हूँ शिशिर मधुकर
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
very nice
Thanks Nivatiya Ji ……..
bahut khoobsoorat……………
Tahe dil se shukriya Babbu Ji …………………