पाहन में विश्वास है इतना, जागृत होकर देखोधर्म संस्कृति ऐसे चलती, जागृत होकर देखो।इस देश का माटी चंदन, जहाँ अमृत गंगा जल हैजगह जगह पर देव देवालय, जागृत होकर देखो।वेद पुराण कुरआन बाइबिल, गुरु ग्रंथ प्यारा हैयहीं पर जन्में आदी मानव, जागृत होकर देखो ।रूप बदलकर जन्म हैं लेते, हैं ये विष्णु अवतारसंकट को वह दूर हैं करते, जागृत होकर देखो।जब भी धर्म की होती हानी, बन जाते असुर विकरालतब तब दलन उनका है होता, जागृत होकर देखो।हम सब के रखवाले हैं वह, कृति उनका है महानइस जगत के हैं पालन हारी, जागृत होकर देखो ।कण कण में है वास हरि का, जहाँ भी देखो तुम जाकरमन की आँखें खोल लो प्यारे , जागृत होकर देखो ।कर्म के मर्म तुम भी जानो, इतना तो विश्वास करोसत्य मार्ग पर सीखो चलना , जागृत होकर देखो।अपना ये पहचान बनाओ, साथ नहीं कुछ जायेगाधन दौलत यहीं सभी रहेगा, जागृत होकर देखो।
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too good
बिंदुजी…..’मत पूछो मेरे यार’ यह ऐसा तकिया कलाम है आपका जिस से रचना का सौंदर्य बिगड़ रहा है….. जैसे कि….
इस देश का माटी चंदन, जहाँ अमृत गंगा जल है
जगह जगह पर देव देवालय, मत पूछो मेरे यार। (इसमें क्या कहना चाहते…कटाक्ष कर रहे क्या….अगर कटाक्ष है तो फिर पहली पंक्ति सही नहीं बैठती…)
वेद पुराण कुरआन बाइबिल, गुरु ग्रंथ प्यारा है
यहीं पर जन्में आदी मानव, मत पूछो मेरे यार (यह तर्क सही नहीं है….आदि मानव कब किस जगह आया हर किसी के अलग विचार हैं….)
रूप बदलकर जन्म हैं लेते, हैं ये विष्णु अवतार
संकट को ये दूर हैं करते, मत पूछो मेरे यार (यहां भी मत पूछो मेरे यार…कटाक्ष है या क्या… विरोधाभासी)….