वो मेरे साथ रहता है मगर फिर भी ना मेरा है फ़कत तन्हाइयों नें ज़िन्दगी में मुझको घेरा हैबड़ी लम्बी हुईं है रात इस जीवन के मेले कीअभी उम्मीद बाकी है कहीं ठिठका सवेरा हैजाने क्या हुआ मुझसे कि मैंने राह जो पक्डीहर इक इंसान उसपे घूमता कातिल लुटेरा हैजहाँ अविश्वास होता हो गैर जहनों में बसते होवहाँ खुशियों का चाहो भी नहीं होता बसेरा हैबड़े अरमान जीवन में संजोए थे कभी मधुकर मनमर्जी से किस्मत नें मगर सब कुछ उकेरा हैशिशिर मधुकर
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बड़ी लम्बी हुईं है रात इस जीवन के मेले की
अभी उम्मीद बाकी है कहीं ठिठका सवेरा है
अत्यंत सुन्दर बनी है मधुकर जी | कुछ शेर और थोडा काम माँगते हैं|
Aapkaa bahut bahut dhanyavaad Arun Ji. Main fir gaur karunga.
umda…………..behtareen ashaar……….
बड़ी लम्बी हुईं है रात इस जीवन के मेले की
अभी उम्मीद बाकी है कहीं ठिठका सवेरा है
जाने क्या हुआ मुझसे कि मैंने राह जो पक्डी
हर इक इंसान उसपे घूमता कातिल लुटेरा है
Tahe dil se shukriya Babbu ji ……………….