माँ दुर्गा आओ मेरे द्वार*** *** ****!भक्त की अरदास ये बारम्बार !आ-माँ-आ, तू, आ मेरे द्वार !!
तुम असुर विनाशिनीतुम कर्मफलदायिनीतुम नवरूप स्वारिणीआकर हमरा कर दो बेड़ा पार !आ-माँ-आ, तू, आ मेरे द्वार !!!शेर की सवारी शस्त्र हाथ लेकेभुजाओं में शक्ति अपार लेकेसुख समृद्धि अपने साथ लेकेतुम भक्तो की सुन के पुकार !आ-माँ-आ, तू, आ मेरे द्वार !!!हे जगजननी, हे रणचण्डी,शक्तिशाली, कष्टहारिणीजग विहारिणि, स्नेहदायिनीमाँ दुर्गा तुम दर्शन दो एक बारमै तेरी आरती उतारूँ बारम्बार !आ-माँ-आ, तू, आ मेरे द्वार !!!भक्त की अरदास ये बारम्बार !आ-माँ-आ, तू, आ मेरे द्वार !!
!!!स्वरचित : डी के निवातिया
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Sundar bhakti rachnaa Nivatiya Ji ………………
तहदिल से शुक्रिया आपका शिशिर जी
निवातियाजी…बेहद खूबसूरत…भावपूर्ण……..अनुस्वार कहीं कहीं लग गया है…..”तुम भक्तो की सुन के पुकार..आ-माँ-आ, तू, आ मेरे द्वार”…. आप अपने द्वार पर बुला रहे हैं तो “भक्तों” उचित नहीं लगता….”अपने भक्त” सोच के देखिये…”अपने का मतलब” “माँ” से ही है…तुम की जगह….
तहदिल से शुक्रिया आपका बब्बू जी ….. आपका कथन यथोचित है ……..और आप सराहना के पात्र है जो इतनी शिद्दत से हमे पढ़ते है और अपने अमूल्य सुझाव प्रदान करते है …………………..अपितु मैंने यहाँ “भक्तो” सभी को शामिल करने के लिए रखा था क्योकि हम सब ही अपने अपने द्वार उन्हें बुलाना चाहते है !…………….तहदिल से शुक्रिया आपका !!
बहुत ही सुन्दर सर माँ दुर्गा की भक्ति पूर्ण रचना ।
तहदिल से शुक्रिया आपका BhawanaJI