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वाह रे इंसान, जूल्म देख क्यों चुप रहता हैक्यों नहीं आगे आता, बुजदिल सा छुप रहता है।जुबां पे ताला बंद रख, कुछ न बोल पाता हैसुस्त पड़ा मनुज, अंधेरा जैसे गुप रहता है।
02ना रहने दिये मन में, ना बसने ही दिये दिल मेंलोग करते रहे शोर, ना जमने दिये महफिल में।मंजिल पाने में कोई कसर, न छोड़ी थी हमनेंजीने दिये हमें, ना मरने ही दिये मुश्किल में।03डरके बहुत देखे दुनिया में हमनें चुप रहकरहमपे खूब जूल्म ढाए मिलके जमाने वाले।हौसला जिंदा है शेर की तरह दहाड़ेंगे हमजोर जितना भी लगा दे हम पे जमाने वाले।04समय मिला है आपको, तो कुछ योग करेंहर आदमी एक दूसरे का, सहयोग करें।भटकते को संभालना, ही तो है जिन्दगीवक्त बेकार ना जाय, इसका उपयोग करें।05दिखावे की हर बात ही कुछ अलग है जनाबहकीकत तो सिर्फ आइने में ही रहती हैं।आप जितना भी भाग लो पूरी ताकत सेगम या खुशी हरदम जीने में ही मिलती हैं।06सब धर्मो से बढ़कर, है मानव धर्म महानकर्तव्य का ही ख्याल रख, कर्म है महान।माया ममता छोड़ दो, मोह का ये जंजाललोभ किए तो कहीं नहीं,तेरी गलेगी दाल।
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बिंदुजी…बहुत बढ़िया…..३ स्पष्ट नहीं हुआ….पहली पंक्तियाँ….. और माया ममता राजनीति का मोह नहीं छोड़ सकती तो आम लोग कैसे छोड़ेंगे……हाहाहाःहाहा…. ऐसे ही जोड़ दिया राजनीति वाली माया ममता के साथ मैंने मजाक में…….
बब्बू जी मैं आपके प्रतिक्रिया की बेसब्री से इंतजार करता हूँ। बहुत अच्छी लगती है आप की सुझाव। धन्यवाद।
बढ़िया…….
Bahut khoob