मुहब्बत गर जहन में हो बयां बातों से होती हैचमक दीए की कैसी है परख रातों से होती हैजमीं ने पेड़ को सींचा है मन से या नहीँ सींचा ज़माने को ख़बर इस बात की पातों से होती हैहर एक आदमी खुद को यहाँ अच्छा समझता हैइसकी पहचान जीवन में मगर नातों से होती हैउसे दुश्मन फ़कत अपना मैंने यूँ ही नहीं समझामुझे पीड़ा बड़ी गहरी उसके घातों से होती हैभले पहली नज़र में कोई आँखों में ही बस जाए मुहब्बत तो जवांं मधुकर मुलाकातों से होती हैशिशिर मधुकर
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वाह….मजा आ गया….बेहतरीन………..
Tahe dil se shukriya Babbu ji……………..