सच्चे प्रेमी देश के, हम सब जो भी लोगरहते डूबे भक्ति में, तनिक न करते लोभ।
सच्चे सैनिक देश के, रख लेते हैं मानपूजा उनकी है रक्षा , करते हैं सम्मान।मर जाते हैं शान से, देकर अपनी जानदेर नहीं करते कभी, रख झंडे की मान।सीख लिया इतिहास से, देश प्रेम की रागभर आता उल्लास से, भक्ति भाव अनुराग।एकता लाओ देश में, अलख जगाओ आजशक्ति भर दो जनहित में, है उत्तम ये काज।
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बिंदुजी….बेहद सुन्दर दोहे….कहीं कहीं वर्तनी दोष है….और अंतिम दोहे के तृतीय पद में जनहित को जान-हीत नहीं कर सकते हम….मात्रा भार बराबर करने को…..
बब्बू जी हीत का प्रयोग हमने बहुत सोच समझ कर करी थी – भोजपुरी में हीत का मतलब – कुटुम्ब या बहनोई समझा जाता है। खैर हमनें शब्द ही बदल दिए। वर्तनी पकड़ में नहीं आ पाई, हो सकता है उसपर गहरायी से हम नहीं पहुँच पाये.. कृपया हमें बताएं।