नज़ारा***कुछ इस तरह मुझ से किनारा कर लिया !मेरे अपनों ने घर-बसर न्यारा कर लिया !!समझता रहा जिन्हे ताउम्र मै खुद का हमदर्द !फूलों से ज़ज़्बातों को उन्होंने अँगारा कर लिया !!देखता हूँ नज़रे उठाकर तो ज़माना हँसता है !जब से उन्होंने मेरी और इशारा कर लिया !!अब करुँ भी उम्मीद फ़तह की, तो कैसे करूँ !अपनों ने साथ दुश्मनो का गँवारा कर लिया !!नहीं रही चाहत अब “धर्म” को किसी हित की !जब आँखों में उनकी बैर का नज़ारा कर लिया !!!!!डी के निवातिया
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
bahut badhiyaa…………….
उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद आपका ……………………..BABBU JI.
बहुत ठीक कहा आपने निवातियॉ जी
उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद आपका ……………………..KIRAN JI.
bahut achcha likha hai. Aajkal apnon ka yahi haal hai.
उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद आपका ……………………..SHISHIR JI.
बधाई इक अच्छी रचना हेतु………..
हर तरफ है रब का करम कुछ ऐसा
अपनों ने जो छोड़ा ,दोस्तों ने सहारा कर दिया
उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद आपका ……………………..SAVIANKA