अजीब दास्तान💓💓💓💓💓💓💓मोहब्बत की दास्तान अजीब होती है।दूर हो साजन पर चाहत करीब होती है।रुसवा होता है दिल भरे जमाने मेंमजे लेता है हमें आजमाने मेंमगर हिम्मत कहाँ फिर धीर खोती है।मोहब्बत की दास्तान अजीब होती है ।आजमाइश के दौर खूब चलते हैं ।उल्फत के सूरज ना फिर ढलते हैं ।मंज़िलों की सामने तस्वीर होती है।मोहब्बत की दास्तान अजीब होती है ।दूरियों के जहर पिए जाते हैं ।अपने भी कहर किए जाते हैं ।मगर प्यार की रूह फकीर होती है।मोहब्बत की दास्तान अजीब होती है ।।।मुक्ता शर्मा ।।
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Sahi kaha Mukta. Ajeeb hi hai ye passion.
धन्यवाद मधुकर जी
बहुत खूबसूरत लिखा है आपने….. “मजे लेता है हमें आजमाने में” पंक्ति अधूरी है…लगता छूट गया कुछ…. शायद ऐसे लिखना चाहती थी आप ..”मजे लेता है जहां हमें आजमाने में”…..
आजमाइश के दौर खूब चलते हैं ।
उल्फत के सूरज ना फिर ढलते हैं ।
इन पंक्तियों को ऐसे सोच के देखिये…..फरक है कुछ क्या….
आजमाइश के दौर तो खूब चलते हैं ।
पर उल्फत के सूरज ना कभी ढलते हैं ।
हाँ जी
शर्मा जी
आप भी ठीक कह रहे हैं
मैं शायद मात्रा गणना में उलझ गयी और इस तरह लिखी पाई।
बहुमूल्य सुझाव देने के लिए शुक्रिया जी