आँख खुलते ही जो तेरा चेहरा दिखाई देता हैकोई दिन रात सनम बस तेरा ही नाम लेता हैमिलन की आग दिल में हर समय सुलगती हैउफ़नी नदिया में तभी वो नाव अपनी खेता हैकिसी के दिल में तू मूरत सी बस चुकी है अबक्या तेरा भी इस जहां में अब वो ही चहेता है बड़ी मुद्दत से कोई ना तुमसे दिल की बात हुईंज़िन्दगी हाथों से यूँ फिसलती है मानो रेता हैयूँ ही मधुकर को यहाँ तुझसे नहीँ ये इश्क हुआरूप की स्वामिनी तुझ सा ना कोई सुचेता हैशिशिर मधुकर
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अति सुंदर शिशिर जी
Dhanyavaad NIvatiya JI ……………..
behad khoobsoorat………..
Tahe dil se shukriya Babbu ji ………………..