तुम सामने पड़े तो ये मन खुशियों से भर गयाढलका हुआ तेरा चेहरा भी थोड़ा निखर गयाखुशियाँ मिली थी एक तरफ़ मायूसी कम नहींगुल वो खिला गुलाब का कितना बिखर गयामन को मेरे तो चैन था हाथों में जब था हाथ छोड़ा जो तूने संग न जाने वो भी किधर गयाक्या तुमको अभी याद हैं लम्हें वो इश्क केजिनके लिए ये वक्त भी हँस कर ठहर गयाकितनी करीं थी कोशिशें फैले ना जग में बातपरचम जज्बातों का मगर मधुकर फहर गया शिशिर मधुकर
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उत्तम सृजन शिशिर जी
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji ………………..
bahut khoob…………..
Tahe dil se shukriya Babbu Ji ……………