मेरी ग़ज़लों ने अब ये सच ज़माने को बताया हैमुहब्बत में किसी अपने ने मेरा दिल दुखाया हैकितने अशआर कह डाले मगर ग़म तो नही छूटेकिसी का ख्याल नस नस में खूं बन के समाया हैभले तुम हाँ नहीं भरते मुकर जाते हो महफिल मेंमेरी तक़दीर हो तुम मैंने तो ये हर पल जताया है मुझे अफ़सोस होता है कि तुमने दूरियां कर लींमैंने तो हाथ पकड़ा है तुमने जब जब बुलाया हैहुनर वो सीखना चाहे अब तो मधुकर यहाँ तुमसेबड़ी आसानी से जिससे तुमने सब कुछ भुलाया है शिशिर मधुकर
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
बहुत खूबसूरत…… जैसे भाव हैं “खूं” की जगह “जुनूँ” सोच के देखिये…….
Tahe dil se shukriya Babbu Ji. Aapkaa sujhav bahut sundar hai.
Very nice ….. .
Thank you Kiran Ji…………..
सुंदर मनोभाव !!
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji ………………..
मुझे अफ़सोस होता है कि तुमने दूरियां कर लीं
मैंने तो हाथ पकड़ा है तुमने जब जब बुलाया है
सुन्दर अभिव्यक्ति
Tahe dil se shukriya Mahendra Ji …………………