समां वो याद है मुझको जो तुम आँखों में भरते थेबड़े नज़दीक आ कर के अपनों सी बात करते थेमुहब्बत किस से हो जाए नहीं कोई नियम इसकाफूल महके तेरी मुस्कान के मेरी झोली में झरते थेतेरे उस अपनेपन को आज तक भूला नहीं हूँ मैंजब टूटा हुआ था मैं और हसीं सपने बिखरते थेखुदा की महर थी मुझ पर जो तुम को बुला भेजामेरे अरमान तो वरना सभी तिल तिल हो मरते थेतेरी मुस्कान का जादू है जिन्दा आज भी मधुकर जिसकी एक झलक पा के बुझे चेहरे निखरते थेशिशिर मधुकर
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बहुत खूबसूरत ………………!
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji……………
bahut badhiya…………
मुहब्बत किस से हो जाए नहीं कोई नियम इसका
खूबसूरत रचना