अधूरापन मेरा अब तो मुझे परेशान करता है तेरा बदला रवैया हरदम मुझे हैरान करता हैएक बुरे वक्त में हमने कई साझा किए थे दुखयही सब सोच के ये मन तेरा सम्मान करता है बड़ा धुआँ सा उठता है आग लगती ही जाती हैजब किसी और का तू सामने गुणगान करता हैलुटाया प्रेम निज सारा अब तो नज़दीक न आएकत्ल कितनी सफाई से देखो नादान करता है लाख कोशिश करी मैंने आस अब भी नहीं टूटीअब पूरा ना वो मधुकर मगर अरमान करता है शिशिर मधुकर
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क्या बात है उम्दा अंदाज़ भावों को पिरोने का…….
Tahe dil se shukriya Babbu ji