कोई भी सोच मेरी तो परे तुझ से ना जाती है मुहब्बत कौन सा रंग अब मुझे आके दिखाती हैअधिकतर ज़िन्दगी गुजरी मगर तन्हा रहा हूँ मैं मिलन की वो घड़ी अपने मुझे हरदम सताती हैकिसी ने नींद लूटी है किसी ने चैन बरसायातेरी तस्वीर ही ख्वाबों में आ मुझको सुलाती हैजुबां कुछ भी नहीं कहती पास गैरों का डेरा हैतू ज़रा सामने आ जाए वो भी फिर गुनगुनाती हैजो भी होता है जीवन में कोई कारण तो होता है ज़िंदगी राज़ निज सीने में कई मधुकर छुपाती है शिशिर मधुकर
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khoobsoorat…………….
Shukriya Babbu ji ………….