(1)
कभी जो रात में उठता , तुम्हारा संदेश मिलता है
जुदाई का हथौड़ा फिर , दीवार-ए-दिल पे गिरता है
तड़पन और उदासी संग , फिर महफ़िल सजाते है
प्यार के बीज को आसूँ से सींच , शायरी का फूल खिलता है
(2)
समंदर की गहराइयों से , ये पैगाम आया है
जमाने से लुटे लोगों में , मेरा भी नाम आया है
मोहब्बत की है तो फिर टूट के , बिखरना भी जरूरी है
इससे बचने को न पैतरा , कोई भी काम आया है
(3)
वो कहते है समंदर पार की , गलियां तुम्हारी है
इस दिल मे जो धड़कती है , वो धड़कन तुम्हारी है
मगर मुश्किल बस इतनी है , इस जाहिल जमाने मे
जो किसी को रास नही आती , वो जोड़ी हमारी है
कवि – मनुराज वार्ष्णेय
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प्यार में केवल प्यार की बातें ही अच्छी लगती है न कि उसपर की गई कड़ी प्रहार। आपने बहुत अच्छा लिखा… थोड़ी मेहनत से इसमें और निखार आयेगी। साहित्य में हर कोई जिंदगी भर सीखता ही है। हम आप और सभी सीखते हैं… कृप्या बुरा ना माने।
khoobsoorat……………..
अति सुंदर
Bahut khoob..