ठहर जाओ चाँद तारोंठहर जाओ रातठहर जाओ साजनअभी देर है बहुतहोने में प्रातकर लेने दो मुझेमेरे हिस्से का श्रमजानती हूँ नही हैऔर कोई उपक्रमवक़्त की इक इक पाईकमाने दोकतरा कतरा सहेज करलाने दोहमारे साथ गुज़रेखूबसूरत लम्हो केसिक्को से भर जाने दोअभी खाली है जानते हो नअभी खाली हैमेरी यादों,जज्बातोंएहसासों की गुल्लकजो बहुत काम आएगीतुम्हारे मेरे साजनमेरे जाने के बादजब कभी तुम होगेबहुत खाली बहुत उदासमेरे स्पर्श, मेरी संवेदना,मेरे एहसास कोढूंढते ख्वाबो के जंगलमें थके टूटे हारेचांद तारों को निहारतेप्रात का पंथ बुहारेनही पाओगे मुझेकहीं भी जब कभीतो फोड़ लेना मेरीयादों की ये गुल्लकइसमे जमा लम्हो के सिक्कों सेतुम जरूर खरीद पाओगेवक़्त के बाजार से मेरी हसीन झिलमिलातीमुस्कुराती यादेंजो भर देगी तुम्हारी उदासी तुम्हारे खालीपन कोशुकून से, उमंग सेआनंद सेमैं जानती हूँमेरी यादों,जज्बातोंएहसासों की गुल्लकबहुत काम आएगीतुम्हारे मेरे साजनमेरे जाने के बाद ।।-देवेंद्र प्रताप वर्मा”विनीत”
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बहुत ही सुन्दर सर
Behad khoobsoorat Devendra …….
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति… खूबसूरत रचना बधाई हो।
बहुत खूबसूरत ….!
Buhut khoobsort lines